जी हां दोस्तो
मैं कुछ लिखूं ।इसके पहले मुझे एक शेर याद आ रहा है ।
लोग कहते हैं कि हम दुनिया बदल देंगे
एक हम हैं नाम तक बदला नही जाता
लेकिन आज यहां पर मैं जिसकी बात करना चाहता हूं वह इस शेर में फिट नही बैठते थे क्योंकि कि वह उन बेचारे लोगों में नही थे जिनके लिए यह शेर लिखा गया था ।
वह सचमुच बहादुर थे,महान थे।शायद यही कारण था कि उन्हें अपने जीवन में जो भी अच्छा लगा उसे वह अपनी इच्छा शक्ति से पाकर रहे ।
द ग्रेटेस्ट कौन थे?
यह बहुत ही रोचक और सराहनीय है कि विश्व विख्यात अमेरिकी मुक्केबाज मुहम्मद अली को अपना नाम ही जब पसंद नही आया तो उन्होंने
इसे ही बदल दिया और अपने मूल नाम जो था “कैसियस मरसेलुस क्ले जूनियर”को छोड़कर नया नाम मुहम्मद अली रख लिया और चूंकि वह खुद को ही बहुत ज्यादा प्यार करते थे इसलिए अपने इस नये नाम मुहम्मद अली के आगे “द ग्रेटेस्ट”जोड़ दिया ।इस प्रकार उनका नया नाम “मुहम्मद अली द ग्रेटेस्ट” हो गया ।लोगों ने जब इस नाम परिवर्तन की असली वजह पूछी तो उन्होंने बिना किसी लागलपेट या संकोच के साफ साफ कहा था कि उन्हे अपने से गुलामी की बू आती थी इसलिए उन्होंने इस गुलामी को ही मिटा दिया है ।क्योंकि मुझे गुलामी पसंद नहीं ।
“द ग्रेटेस्ट” के द ग्रेट कारनामे
जिस तरह मुहम्मद अली खुद को द ग्रेटेस्ट कहते थे उसी तरह उनके ग्रेट कारनामे भी थे अंतरराष्ट्रीय महान मुक्केबाज मुहम्मद अली ने निहायत विपरीत परिस्थितियों मे खुद को महान बनाने में सफलता प्राप्त की थी ।यह बात दीगर है कि 4जून 2016 को अमेरिकी शहर फीनिक्स में जीवन भर हार न मानने वाला महान मुक्केबाज पार्किन्सन से हार गया था ।और अपने पीछे छोड़ गया था लाखों लाख उन बातों को जो उन्हें महान बनाने में मदद करती हैं ।वह कितने महान थे आप इस बात का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि क्रिकेट के भागवान तेंदुलकर ने जब इन्हें श्रद्धापूर्वक अंतिम विदाई दी थी तो कहा था कि मुझे जिन बातों का जीवन भर अफसोस रहेगा उनमें बहुत कम बाते हैं और जो हैं भी उनमें सबसे खास बात यह है कि मैं मुहम्मद अली से मिलने को तरसता रह गया और वे असमय चल बसे ।
क्यों थे ग्रेट मुहम्मद अली द ग्रेटेस्ट?
विश्व मुक्केबाजी के नायाब हीरे मुहम्मद अली यूं ही सिर्फ नाम के ग्रेट नही थे बल्कि वे सचमुच काम के भी ग्रेट थे ।12 साल की उम्र में मुक्केबाजी शुरू करने वाले ग्रेटेस्ट ने महज 22 साल की उम्र मे इतिहास का उलटफेर करते हुए 1964 में सोनी लिसटन को हराकर विश्व हैवीवेट चैम्पियन का खिताब जीत लिया था ।और हां इसी जीत के बाद उन्होने अपना नाम भी बदल डाला था।सन 1964 के बाद उन्होने 1974और1978मे भी इस खिताब को अपने नाम किया था ।
सिर्फ तन से नही मन से भी मजबूत थे ग्रेटेस्ट
जी हां दोस्तों मुहम्मद अली सिर्फ मुक्के से ही मजबूत नही थे वह मन से भी बेहद मजबूत थे
इसका प्रमाण यह है कि जब उन्होंने अमेरिकी सेना में भर्ती होने से इन्कार कर दिया था तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था लेकिन वह चूंकि वियतनाम युद्ध के खिलाफ थे इसलिए टूटे नही बल्कि अपनी जिंदगी में आए इन काले दिनों में भी उजाले को तलाशते रहे ।अमेरिकी सेना में भर्ती न होने के कारण उन्हें केवल गिरफ्तार ही नही किया गया बल्कि उनका हैवीवेट टाइटल भी छीन लिया गया था ।इस लिए वह चार साल तक फाइट भी नही कर सके बावजूद इसके युद्ध विरोधी व रंगभेद पीड़ित उन्हें अपना हीरो मानते थे ।यह तो ईश्वर की कृपा थी कि सन 1971 में अमरिकी सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सजा पलट दी और ग्रेटेस्ट को न्याय मिला ।
अद्भुत ग्रेटेस्ट उर्फ जिन्दा दिल जिन्दाबाद
छह फीट तीन इंच लम्बे मुहम्मद अली ने अपने जीवन में कुल 61 फाइट में भाग लिया ।इन फाइटो में वह 56 में विजयी रहे थे ।विशेष बात यह है कि इन 56 फाइट में 37 का फैसला नाक आउट के जरिए हुआ था ।वह यदि अपने फैसले के प्रति कठोर थे तो अपने राष्ट्रीय कर्तव्य के लिए समर्पित भी थे ।उन्होने ईराकी राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन से अपने देश के पनदरह लोगो को छुड़ाने के लिए मुलाकात भी की थी।
उनकी अद्भुत जिजीविषा का एक और प्रमाण तब मिला था जब उन्हें अटलांटा ओलम्पिक मे मशाल जलाने के लिए आमंत्रित किया गया था ।सोचा जा रहा था कि शायद वह अपने स्वास्थ्य कारणों से इस कार्य को सम्पन्न करने के लिए उपलब्ध न हो सकें लेकिन दुनिया उस समय स्तब्ध रह गई जब द ग्रेट ने अपने कांपते हुए हांथों से मसाल जला कर अपने ग्रेट होने का प्रमाण दे दिया था ।
धन्यवाद
लेखक :केपी सिंह
15022018
Thanks for such a amazing knowledge of Greatest
शुक्रिया जनाब
Nice information brother
धन्यवाद सर
Thanks to Mr S P Singh the great mentor.
धन्यवाद सर
Kpsingh
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